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उस समय कृमिया और रूस के बीच युद्ध चल रहा था। टामस फिप नामक एक बालक ग्रेनेडियर दलके बैंडमें बाँसुरी बजाता था। उस समय इनकारमैन का भीषण युद्ध चल रहा था। फिपने पास ही एक घायल सैनिकको तड़फड़ाते देखा और यह कहते सुना-‘कोई मुझको एक प्याला चाय पिला देता तो बहुत अच्छा होता।
बालकका करुण हृदय उस सैनिककी अन्तिम इच्छा पूरी करनेके लिये व्याकुल हो उठा। सैनिकोंकी झोलीमें चाय-पानीकी शीशी तथा केतली आदि रहती है। उस समय दनादन गोलियोंकी बौछार हो रही थी; फिर भी उस बालकने प्राणोंकी जरा भी परवा न करके गोलियोंकी वर्षामें भी आस-पाससे लकड़ियोंके टुकड़े इकट्ठे किये और आग जलाकर चाय बनाना शुरू किया।
इतनेमें एक गोली उसकी टोपीके ऊपरसे चली गयी और दूसरी गोली उसके कोटी बांह में से आर-पार हो गयी एक बार उसके कंधे में हल्की चोट भी लगी; परंतु बालक उसपर कुछ भी ध्यान न देकर दयार्द्र-हृदय से उस सैनिकको गरमागरम चाय पिलाकर उसकी प्यास बुझा रहा था।
आस-पास अनेक घायल सैनिक पड़े थे। उन्होंने उस बालककी इतनी अधिक सहानुभूति देखकर मृत्युके समय सच्चे अन्तःकरणसे उसे आशीर्वाद दिया।
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