गणेश विसर्जन की पूजा विधि एवं कथा

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गणेश विसर्जन की पूजा विधि एवं कथा
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19 सितंबर 2021 गणेश विसर्जन

रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के दाता श्री गणेश जी के जन्मदिन को लोग गणेश महोत्सव के रूप में मनाते हैं यह महोत्सव गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है इस वर्ष गणेश महोत्सव 8 सितंबर से प्रारंभ हुआ था और अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर को समाप्त होगा

गणेश विसर्जन की पूजा विधि


चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश के विसर्जन की पूर्व उनके विभिन्न स्वरूपों पूजा की जाती है भगवान गणेश को इस दिन उनके मनपसंद मोदक का भोग लगाया जाता है पूजा और आरती के बाद लोग भक्ति भाव के साथ भगवान गणेश का विसर्जन करते हैं प्रतिवर्ष यह महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता था परंतु इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस प्रकार के महोत्सव नहीं रखी जाएंगे

गणेश विसर्जन की कथा


कहा जाता है कि ऋषि वेदव्यास जी ने जब संपूर्ण महाभारत के दृश्य को समझ लिया लेकिन वे लिख नहीं सकते थे इसलिए उन्हें इस ग्रंथ को लिखने के लिए किसी लेखक की आवश्यकता थी जो बिना रुके इस ग्रंथ को लिख सकें तब उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की ब्रह्मा जी ने उन्हें सुझाव दिया कि गणेश जी बुद्धि के देवता हैं आप उनके पास जाइए बे आपकी सहायता अवश्य करेंगे तब वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश जी के पास जाकर महाभारत लिखने की प्रार्थना की । संपूर्ण देवताओं में गणेश जी के पास लिखने की विशेष कला है उन्होंने महाभारत लिखने के लिए वेदव्यास जी को स्वीकृति प्रदान की वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश के जन्म दिवस गणेश चतुर्थी के दिन से 10 दिनों तक संपूर्ण महाभारत की कथा सुनाई जिसे गणेश जी तुरंत ही लिखते गए महाभारत की कथा जब पूरी हो चुकी थी तब वेदव्यास जी ने अपनी आंखें खोली तो देखा कि भगवान श्री गणेश जी के शरीर का तापमान अधिक हो जाने के कारण उस से उर्जा उत्पन्न हो रही है


वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश की तापमान को कम करने के लिए उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया परंतु कुछ समय पश्चात मिट्टी सूख जाने के कारण उनका शरीर अकड़ गया और लगी हुई मिट्टी गिरने लगी तब वेदव्यास जी गणेश जी को लेकर सरोवर गए और वहां पर जाकर मिट्टी का किया गया लेप साफ किया तब जाकर भगवान गणेश की शरीर का तापमान कम हुआ
इस कथा के अनुसार गणेश जी ने जिस दिन से महाभारत को लिखना प्रारंभ किया था वह दिन भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन था और जब महाभारत पूर्ण हुआ उस दिन अनंत चतुर्दशी थी कहा जाता है तभी से भगवान गणेश जी को दसों दिन तक बिठाया जाता है और अंतिम दिन ढोल नगाड़ों के साथ उनका विसर्जन किया जाता है

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