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अनियमित एवं अनुचित आहार बिहार के कारण जो व्याधियां पैदा हो कर शरीर को रोगी बना देती हैं उनमें से एक व्याधि है अपच यानी मन्दानि होना जिससे खाया हुआ ठीक से पचता नहीं और जय ठीक से पचता नहीं तो भूख भी नहीं लगती जिसका परिणाम होता है शारीरिक कमजोरी, दुबलापन, कब्ज, गैस ट्रबल जैसा शिकायतें पैदा होना। इन व्याधियों को दूर करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग हिंग्वाष्टक चूर्ण का परिचय प्रस्तुत है।
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- घटक द्रव्य सोंठ (Dry Ginger)
10 ग्राम
- पीपल की छाल (Ficus Religiosa)
10 ग्राम
- काली मिर्च (Black Pepper)
10 ग्राम
- अजवायन (Celery)
10 ग्राम
- सेंधा नमक (Rock Salt)
10 ग्राम
- जीरा (Cumin)
10 ग्राम
- काला जीरा (Caraway Seeds)
10 ग्राम
- हीरा हींग (Asafoetida)
2 ग्राम
हिंग्वाष्टक चूर्ण निर्माण विधि
हीरा हींग अलग रख कर शेष द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन चूर्ण करके मिला लें और छान लें ताकि सब द्रव्य ठीक से मिल जाएं। हींग को घी में भून लें और कूट पीस कर यह चूर्ण भी सब द्रव्यों के मिश्रण में अच्छी तरह मिला कर बोतल में भर लें।
हिंग्वाष्टक चूर्ण मात्रा और सेवन विधि
आधा चम्मच (3 ग्राम) चूर्ण कुनकुने गर्म पानी के साथ लेने से वायु के प्रकोप (गैस ट्रबल) का तुरन्त शमन हो जाता है। दूसरी विधि यह है कि एक चम्मच (6 ग्राम) चूर्ण थोड़े से घी में मिला कर भोजन की थाली में रख लें। भोजन शुरू करते समय शुरू के 5-6 कौर में इस चूर्ण को खा लें फिर शेष भोजन करें।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के लाभ
गैस ट्रबल, पेट फूलना, गैस न निकलना आदि शिकायतों को दूर करने के लिए हिंग्वष्टक चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करना चाहिए। मन्दाग्नि, अपच, भूख की कमी, गैस ट्रबल आदि की स्थिति हो तो इस चूर्ण का सेवन दूसरी विधि के अनुसार घी के साथ भोजन के शुरू में करने से ये सभी शिकायतें दूर होजाती हैं। इस चूर्ण के सेवन से पाचन प्रणाली सुधरती है, भूख खुल कर लगती है। यह चूर्ण श्रेष्ठ पाचक और दीपक है यानी खाना पचाता भी है और जठराग्नि को बल भी देता है। अगर पाचन की खराबी के कारण दस्त लगने लगें तो आधा चम्मच हिंग्वष्टक चूर्ण और आधा ग्राम शंख भस्म मिला कर सुबह शाम फांक कर पानी पी लें। यह चूर्ण इसी नाम से बना बनाया बाज़ार में मिलता है।
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