मुसाफिरों के सेवा करने वाले बालक की कहानी

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एक गाँवके रास्तेपर एक दिन एक लँगड़ा नाविक बैठा था। भयानक गरमी पड़ रही थी और अपनी टेकनेवाली लाठीके टूट जानेके कारण उस बेचारेसे चला नहीं जाता था। ‘रास्ते में कोई गाड़ी मिल जाती तो मुझे अपने गाँव में पहुँचा देती’-इस आशासे बैठा वह किसी गाड़ी की बाट देख रहा था। इतनेमें वहाँ एक गाड़ी आयी।

उसमें अपनेको बैठा लेनेके लिये उसने प्रार्थना की; परंतु गाड़ीवानने भाड़ा मांगा। उसके पास कुछ था नहीं, इससे वह नहीं जा सकता। बहुत देरतक दूसरी कोई गाड़ी न आनेके कारण वह अन्तमें एक वृक्षके नीचे जाकर सो गया।

थोड़ी देरके बाद उसकी नींद टूटी तो देखता क्या है कि जल बरस रहा है और उसके ऊपर किसीने कपड़ा ओढ़ा दिया है तथा पास ही एक बालक टूटी हुई लाठीको रस्सीसे बाँधकर उसे काम के योग्य बना रहा है। यह देखकर लड़के इस लड़केसे पूछा-‘अरे भले लड़के ! तू क्यों नंगा बैठा है और मेरे ऊपर अपने कपड़ेको तूने क्यों डाल दिया है ?

बालक ने जवाब दिया-‘मैं इधरसे जा रहा था, इतनेमें तुमको मैंने पानीमें भीगते देखा। तुम गहरी नींद में सोये थे, वर्षासे भीग जानेपर तुम जाग उठते और तुम्हारी नींद जाती रहती, यह बात मुझको अच्छी नहीं लगी। इसके सिवा, तुम बूढ़े हो, सर्दी लगनेपर बीमार पड़ जाते। इसलिये मैंने अपना कोट उतारकर तुम्हारे ऊपर डाल दिया।

मैं बालक हूँ, इससे नंगा रह सकता हूँ। तुम्हारी लाठीको टूटी हुई देखकर मैं अपनी रस्सीसे उसे बाँध रहा हूँ। यहाँसे थोड़ी दूरपर मेरा गाँव है, वहाँ मेरे साथ तुम चलोगे तो मैं अपने काकाकी नयी लाठी तुमको दिया

दूँगा। उस बालककी यह बात सुनकर उस नाविकको बड़ा आश्चर्य हुआ और उसकी आँखों से एकाएक आँसू गिरने लगे यह देखकर लड़केने उससे पूछा-‘तुम क्यों रो रहे हो ?’ यह सुनकर लंगड़ा बोला – ‘मेरा लड़का भी तुम्हारे-जैसा ही भला था और तुम्हारी-जैसी ही उसकी मधुर वाणी थी । पाँच वर्ष हुए, मैं जहाजमें नौकरी करने गया था।

अब वह लड़का कहाँ होगा, यह याद करके रोता हूँ। यह सुनकर उस लड़केने पूछा-‘उस लड़के का नाम क्या है ?’ लँगड़ा बोला-‘उसका नाम विट्ठल है और मेरा नाम जीवो है।’ नाम सुनकर वह लड़का उछलकर लँगड़ेकी छातीसे चिपक गया और कहने लगा कि ‘बाबा ! मैं ही तुम्हारा विट्ठल हूँ।

फिर वह बालक उस गांव में ले गया और अपने काकाको उसने सारे समाचार कह सुनाया। इसके बाद दोनों भाई मिले और आनन्दसे एक साथ रहने लगे। तुरंत ही नयी लाठी तैयार की गयी और उसको लेकर नाविक जहाँ-तहाँ गाँव में घूमने लगा। उसने उस पुरानी लाठीको, जिसे उस बालकने सुधारा था, मूल्यवान् सम्पत्तिकी भाँति आजीवन बचाकर रखा; क्योंकि उस लाठीके कारण लड़केका और दोनों भाइयोंका मिलाप हुआ था।

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