पौराणिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत महाभारत काल से प्रारंभ हुआ भगवान विष्णु ने स्वयं द्वारा रचित 14 लोकों की रक्षा करने के लिए इसी दिन 14 रूपों धारण किए थे
व्रत को रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं सुख संपदा धन-धान्य और संतान की प्राप्ति होती है इस दिन भगवान विष्णु के अवतारों की कथाएं सुनी जाती हैं
कहा जाता है कि जब पांडव वनवास में थे और उनका सब कुछ छीन गया था तब भगवान श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना प्रारंभ कर दिया और लगातार 14 वर्ष तक व्रत रखा यह व्रत रखने के फल स्वरुप पांडवों ने अपना सब कुछ खोया हुआ प्राप्त कर लिया और युद्ध में भी उन्हें बिजय प्राप्त हुई तभी से अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है और इस व्रत को 14 वर्ष तक प्रत्येक अनंत चतुर्दशी को रखना होता है तभी इसका पुण्य प्राप्त होता है