बुद्ध भगवान का बचपन का नाम सिद्धार्थ कुमार है।
महाराज शुद्धोधन उनके लिये एक अलग बहुत बड़ा बगीचा लगवा दिया था। उसी बगीचे में वे एक दिन टहल रहे थे। इतनेमें आकाशसे एक हंस पक्षी चीखता हुआ गिर पड़ा। राजकुमार सिद्धार्थ ने दौड़कर उस पक्षी को गोद मे उठा लिया। किसीने हंसको बाण मारा था। वह बाण अब भी हंसके शरीरमें चुभा था। कुमार सिद्धार्थ पक्षीके शरीरमेंसे बाण निकाला और यह देखनेके लिये कि शरीरमें बाण चुभे तो कैसा लगता है, उस बाणको अपने दाहिने हाथसे बायीं भुजामें चुभा लिया। बाण चुभते ही राजकुमार के नेत्रों से टप-टप आँसू गिरने लगे। उन्हें अपनी पीड़ाका ध्यान नहीं था, बेचारे पक्षी को कितनी पीड़ा हो रही होगी, यह सोचकर ही वे रो पड़े थे।